socrates philosophy in hindi, सुकरात की कहानी इन हिंदी, सुकरात के विचार, सुकरात के राजनीतिक विचार-
हैलो दोस्तों आज के इस लेख में आप सभी का सवागत है। आज के इस लेख में आप यूनान की एक महान हस्ती Socrates के बारें में जानेंगे। जिन्हे दुनिया का सबसे प्राचीन विचारक भी माना जाता हैं। इस लेख में आप Socrates Biography In Hindi में जानेंगे
और साथ ही साथ Socrates का परिवार ,Socrates का बचपन ,Socrates का वैवाहिक जीवन आदि चीजें जानेंगे। अगर आप Socrates Biography In Hindi detail में जानना चाहते हैं तो इस लेख को अन्त तक ज़रूर पढ़े। तो चलिए देखते हैं कि कौन थे Socrates
Socrates कौन है | Socrates Biography In Hindi
Socrates प्राचीन ग्रीस के एक महान दार्शनिक विचारों वाले व्यक्ति थे। इनको पाश्चात्य दर्शन के जनक के नाम से भी जाना जाता है। Socrates का नाम अरबों द्वारा दिया गया था। इनका जन्म लगभग ढाई हज़ार वर्ष पहले एथेंस नामक शहर में हुआ था। एथेंस यूनान का एक बहुत ही समृद्ध राज्य है। Socrates के माता पिता बहुत गरीब थे। उन्के घर पर पैसों की बहुत ही तंगी रहती थी। इनके पिता मूर्तियां बनाने का कार्य किया करते थे। Socrates भी अपने पिता के काम में थोड़ी मदद करते थे।
वह अपने विचारों और अपनी बातो से ग्रीक के लोगों को आंदोलित किया करते थे। Socrates का एक विचार बहुत ही ज़्यादा बेहतरीन है। जो हम सबको अपने जीवन के लक्ष्य के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर देता है। “मूर्ख व्यक्ति केवल खाने पीने के लिए जीते है जबकि बुद्धिमान व्यक्ति जीने के लिए खाते पीते है।”
Socrates ने अपने विचार से एथेंस में क्रांति ला दी थी। वह मौलिक शिक्षा और मानव सदाचार पर बहुत ही ज़्यादा ज़ोर देते थे।बहुत सारे महान हस्तियों का कहना है कि Socrates को बोलना बहुत ही ज़्यादा पसंद था। और Socrates एक महान दार्शनिक व विद्वान थे। साथ ही साथ वह अच्छे, ईमानदार तथा दूर संकल्प वाले इन्सान भी थे।
सुकरात का जीवन परिचय – Socrates Biography bio in hindi
नाम | सुकरात (Socrates) |
जन्म | 469 ईस्वी पूर्व से 470 ईस्वी पूर्व के बीच में। |
जन्म स्थान | एथेंस नगर |
पहचान | महान दर्शनशास्त्री |
पिता का नाम | सोफ्रोनिस्को |
माता का नाम | फेनारेटा |
पत्नी का नाम | एन्थिपे |
पुत्रों के नाम | लैंपक्राॅल्स, सोफ्रोनिसस और मेनेक्सेनस |
शिष्य का नाम | प्लेटो |
मृत्यु | 399 ईसा पूर्व |
मृत्यु कितनी उम्र में मृत्यु हुई | 71 |
Socrates का जन्म 470 ईसा पूर्व से 469 ईसा पूर्व के बीच में हुआ था। Socrates का जन्म एथेंस के एलोपेस नामक शहर में हुआ था । Socrates का जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ थे। उनके पिता का नाम सोफ्रोनिस्को था। जो कि एक मूर्तिकार थे और उनकी माता का नाम फेनारेटा था। Socrates अपने पिता की उनके काम में मदद किया करते थे।
Socrates लिखते कम और बोलते ज़्यादा थे। यही कारण है कि उनहोंने अपने जीवन के बारें में कुछ ज़्यादा नही बताया है। जो भी जानकारी है वह उनके शिष्यों के द्वारा लिखी गई थी। उनके शिष्यों में से एक सबसे महान् शिष्य थे जिनका नाम प्लेटो (Plato) था।
Socrates को कुछ लोग एक सूफी संत मानते थे। क्योंकि वह सूफियों की तरह साधारण शिक्षा और मानव सदाचार के ऊपर गुरुत्व देते रहते थे। Socrates के जीवन का लक्ष्य केवल ज्ञान की प्राप्ति करना और ज्ञान का प्रचार करना था। Socrates ने अपने अमूल्य विचारों से प्राचीन युग में क्रांति ला दी थी। Socrates ने अपनी मातृभाषा शिक्षा, यूनानी कविताएं, भूगोल विज्ञान और गणित शिक्षाए प्राप्त की थी।
Socrates का विवाह एन्थिपे नामक महिला से हुआ था। Socrates का वैवाहिक जीवन कभी भी सुखी नही रहा। क्योंकि उनकी पत्नी हमेशा उनसे झगड़ती रहती थी। Socrates के वैवाहिक जीवन से जुड़ा एक किस्सा मालुम होता है। एक बार उनका एक शिष्य उनके पास आया और उसने कहा कि “उन्हें शादी करनी चाहिए या नही”। तो Socrates ने कहा ” हाँ ज़रूर करनी चाहिए।”
इस पर उनके शिष्य ने कहा “आपकी पत्नी झगड़ालू है और उसने आपका जीवन खराब किया हुआ है। फिर भी आप मुझे शादी करने की सलाह दे रहे है”। फिर शिष्य की इस बात पर Socrates ने कहा “यदि तुम्हे अच्छी पत्नी मिलती है तो तुम्हारा जीवन सुधर जायेगा। तुम खुश रहोगे तो उन्नति करोगे।
यदि तुम्हे मेरी पत्नी जैसी मिलती है तो तुम मेरी तरह दार्शनिक बन जाओगे। किसी भी परिस्थिति में तुम्हारा विवाह करना अच्छा ही है”। Socrates ने प्राचीन ग्रीस में मिलने वाली शिक्षा भी प्राप्त की थी। उन्होंने बहुत सारे विषयों की शिक्षा ली थी जैसे ज्योमिति, गणित आदि।
Read More- कार्ल मार्क्स का जीवन परिचय | Karl Marx Biography In Hindi?
Socrates का बचपन –
Socrates अपने बचपन ही से चीज़ो को सीखने और जानने की कोशिश किया करते थे। एक धनी व्यक्ति ने Socrates के इस गुण को जांच लिया और उसने Socrates की शिक्षा के लिए व्यवस्था की। ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ बन सके। यह शिक्षा को ग्रहण करने के बाद Socrates की बुद्धि और तेज़ हो गई।
Socrates हर बात में ऐसी चीज़ों को ढूंढ ने लगे जिससे कि वह कुछ ना कुछ नया सीख सके। Socrates जब बड़े हुए तो विद्वानों के पास जाने लगे और उनसे प्रश्न भी करते थे। विद्वानों को Socrates के
प्रश्न चुनौती से कम नही लगते थे।
Socrates का परिवार – Socrates family
Socrates का परिवार बहुत ही ज़्यादा गरीब था। इनके पिता का नाम सोफ्रोनिस्को था। जो एक मूर्तिकार थे और उनकी माता का नाम फेनारेटा था। Socrates भी अपने पिता की उनके काम में मदद किया करते थे।
Socrates ने अपने पूरे जीवन में एक सैनिक के रूप में भी कार्य किया है। वह एक फिलोसोफर भी थे। Socrates का लगाव अपने परिवार के प्रति नही था। इसलिए वो अपने परिवार को छोड़ कर ज्ञान की खोज में निकल गए थे।
Socrates का वैवाहिक जीवन – Socrates life
Socrates का वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं था। दोनो में बहुत ही ज़्यादा लड़ाई हुआ करती थी। वह अपने पारिवारिक जीवन में खुश नहीं थे। इसीलिए वह अपने परिवार को छोड़कर ग्यान की खोज में चले गए थे। Socrates के तीन पुत्र थे जिनका नाम लैंपक्राॅल्स, सोफ्रोनिसस और मेनेक्सेनस था।
इनके वैवाहिक जीवन से जुड़ा एक वाक्या है। एक बार Socrates का एक शिष्य उनके पास आया और पूछा कि “मैं विवाह करना चाहता हूं क्या विवाह करना सही होगा?” तो Socrates ने कहा कि “हां, तुम्हें विवाह करना चाहिए,लेकिन पत्नी सही मिल गई तो तुम सुख में जीवन बिताओगे यदि पत्नी सही ना मिली तो मेरे जैसे दार्शनिक बन जाओगे”
Read More- Rubika Liyaquat Biography In Hindi | रुबिका लियाकत का जीवन परिचय
Socrates के महत्वपूर्ण विचार-
“दुनिया में सबसे समझदार इंसान वह है, जो ये
जानता है कि मैं कुछ भी नहीं जानता
न्याय से पहले कुछ भी पसंद नहीं किया जाना चाहिए
मैं किसी को कुछ भी नहीं सिखा सकता,
मैं केवल उनकी सोच बदल सकता हूँ।
खुद को खोजने के लिए, अपने लिए सोचो
अभिमान मनुष्य को बांटता है, विनम्रता मनुष्य को जोड़ती है।।” – यह Socrates का बहुत ही महत्वपूर्ण और मशहूर विचार है।
Socrates के जीवन में एक घटना हुई थी। उस घटना को जान के आप बहुत कुछ सीख सकते हैं।एक बार Socrates बाज़ार से गुज़र रहे थे और उनकी मुलाकात एक इन्सान के साथ हुई। उस इन्सान ने Socrates को कुछ बताना शुरू कर दिया। और कहा कि “मैं आपको बहुत ही मज़ेदार बात बताने वाला हूं क्या आप जानते हैं कि कल आपका एक मित्र आपके बारे में क्या कह रहा था?”
Socrates ने उस इन्सान को रोका और कहा कि “मैं आपकी बात सुनुंगा पहले मेरे 3 सवाल का जवाब दो, इनमें से एक भी सवाल सही होगा तो मैं आपकी बात पूरी तरह सुनुंगा क्या वह बात पूरी तरह सही है जो बात तुम बताना चाहते हो? उस इन्सान ने कहा “नहीं, अभी मैंने यह बात केवल सुनी है”। फिर Socrates ने अपना दूसरा सवाल पूछा और कहा कि “क्या आप ऐसा कहना चाहते हो जो मेरे लिए अच्छा या दयालु है?”
फिर उस इन्सान ने कहा “नहीं”। फिर Socrates ने तीसरा सवाल पूछा और कहा कि “क्या वह बात मेरे लिए काम की है?” उस इन्सान ने जवाब दिया “नहीं” ये सारी बातें Socrates ने सुनने के बाद उस इन्सान की ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा कि “जो बात मेरे मित्र के बारे में आप बताना चाहते हैं वह बात पूरी तरह सत्य नहीं है, मेरे अच्छे के लिए भी नहीं है, और वह बात मेरे कुछ काम की भी नहीं है तो मैं वह बात क्यों सुनू?”
Socrates का आखिरी जीवन –
Socrates एक बहुत ही अच्छे शिक्षक थे। वह लोगों तक शिक्षा पहुंचाना का हर प्रयास करते थे। वह लोगों को अच्छे और बुरे के बारे में समझाते थे। उस समय राजा का शासन निरंकुश था। इसलिए राजा और शासक ने उन्हें ज़हर का प्याला पीला कर मृत्यु दंड की सज़ा सुना दी थी।
Read More- Rabindranath Tagore Biography In Hindi | रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय
Socrates की मृत्यु का कारण – Socrates death
ग्रीक समाज में चल रहे धार्मिक विचारों को Socrates ने मानने से इनकार कर दिया था। Socrates के विचारों को बहुत से लोग सुनना और पढ़ना पसंद करते थे। Socrates गली गली जा कर शिक्षा को फैलाने का काम किया करते थे। Socrates लोगों को विचारो के ऊपर प्रशन करने के लिए कहते थे। और साथ ही साथ सत्य की संधान करने के लिए भी कहते थे।
Socrates की यह बात सुनकर राजा काफी परेशान हो गए थे। और राजा ने कहा कि “ऐसे ही चलता रहा तो 1 दिन आएगा Socrates सारे लोगों को अपनी तरफ कर लेगा सभी को भड़का के पूरी तरह ग्रीक माइथॉलजी को और शासन व्यवस्था को तर्क वितर्क माध्यम से पूरी तरह खारिज कर देगा। उसके तर्क के सामने कोई टिक नहीं पाएगा।”
इसी बात को मद्दे नज़र रखते हुए युवाओं को भड़काने और देशद्रोही की तरह काम करने के लिए राजा ने Socrates को मृत्युदंड की सज़ा सुना दी थी। और यह मृत्युदंड Socrates ने खुशी खुशी स्वीकार कर लिया था। राजा द्वारा Socrates को ज़हर का प्याला पीला कर मृत्यु दंड दे दिया गया था। Socrates को 399 ईसा पूर्व में मृत्युदंड दिया गया था। और उस समय उनकी उम्र 71 वर्ष की थी।
Socrates ने विरोध क्यू किया-
Socrates युवाओं को प्रोत्साहित करते थे। और उन्हे अपने हक के लिए आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित भी करते थे। एथेंस शहर में शुरुआत से ही Socrates का एक समूह दुश्मन बन चूका था। धीरे धीरे इस समूह के लोग बढ़ते गए। लोगों ने Socrates को शत्रु और भेदिया तक कहना शुरू कर दिया था। फ़िर आखिरी में Socrates को युवाओं को भड़काने के आरोप में जेल भेज दिया गया था।
Socrates पर कौन कौन से आरोप लगे थे-
Socrates के दुश्मनों ने 399 ईसा पूर्व में सज़ा दिलवाने के लिए Socrates पर कुछ आरोप लगा दिए थे। और उनपर मुक़दमा भी कर दिया था। नीचे Socrates के उपर लगे हुए कुछ आरोप है-
- Socrates पर पहला आरोप यह था कि वह देवी देवताओं की उपेक्षा करता और उन पर विश्वास नहीं रखता।
- Socrates पर दूसरा आरोप यह था कि उसने माननीय देवी देवताओं की जगह पर कल्पित जीवन देवता को स्थापित किया हुआ था।
- Socrates पर तीसरा आरोप यह था कि वह शहर के युवाओं को भड़का रहा और उन्के दिमाग को भ्रष्ट कर रहा है।
उनके मित्रों व शिष्यों ने उन्हें बचाने का बहुत प्रयास किया। एक बार प्लेटो जो कि Socrates का शिष्य था अपने कुछ दोस्तों के साथ Socrates के पास आया और उसने कहा कि “आप यहां से भाग जाइए हमने सारी व्यवस्था कर दी है।”
इसपर Socrates ने कहा कि “यदि मैं भाग गया तो पीछे मेरा विचार मर जाएगा यदि मैं यहां रहा तो मेरा शरीर मर जाएगा और दोनों में से एक को चुनना हो तो मैं मरने के लिए अपना शरीर को चुनूंगा।” फिर निराश होकर प्लेटो वहाँ से चले गए।
Socrates पर मुकदमा-
Socrates के उपर जो तीन आरोप लगाए गए थे उसी वजह से उनके ऊपर मुकदमा हुआ था। जब Socrates पर मुक़दमा चल रहा था, तो उन्होंने कोई भी वकील को करने से मना कर दिया था। उनहोंने कहा था कि “एक व्यवसायी वकील पुरुषत्व को व्यक्त नहीं कर सकता है।” इसके साथ ही साथ Socrates ने अदालत में कहा था कि “मेरे पास जो कुछ था, वह मैंने एथेंसवासियों की सेवा में लगा दिया।
मेरा उद्देश्य केवल अपने साथी नागरिकों को सुखी बनाना है। यह कार्य मैंने परमात्मा के आदेशानुसार अपने कर्तव्य के रूप में किया है। परमात्मा के कार्य को आप लोगों के कार्य से अधिक महत्व देता हूँ। यदि आप मुझे इस शर्त पर छोड़ दें कि मैं सत्य की खोज छोड़ दूँ, तो मैं आपको धन्यवाद कहकर यह कहूंगा कि मैं परमात्मा की आज्ञा का पालन करते हुए अपने वर्तमान कार्य को अंतिम श्वास तक नहीं छोड़ सकूँगा।
तुम लोग सत्य की खोज तथा अपनी आत्मा को श्रेष्ठतर बनाने की कोशिश करने के बजाय सम्पत्ति एवं सम्मान की ओर अधिक ध्यान देते हो। क्या तुम लोगों को इस पर लज्जा नहीं आती।मैं समाज का कल्याण करता हूँ, इसलिए मुझे खेल में विजयी होने वाले खिलाड़ी की तरह सम्मानित किया जाना चाहिए।”
Read More- Rabindranath Tagore Biography In Hindi | रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय
निष्कर्ष-
तो दोस्तों ये था लेख प्राचीन ग्रीस के एक महान दार्शनिक विचारों वाले व्यक्ति Socrates के बारे में। जिसमें हमने आपको Socrates Biography In Hindi में बताई। आशा करते हैं कि आप को यह लेख पसंद आया होगा और Socrates के बारे में आपको ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी प्राप्त हुई होगी। अगर आप अपने दोस्तों को भी Socrates के बारे में जानकारी देना चाहते हैं तो उनके साथ इस लेख को ज़रूर शेयर करें।
Read More
- Rohit Suchanti Biography In Hindi | रोहित सुचांती का जीवन परिचय।
- Lalit Yadav Biography In Hindi | ललित यादव का जीवन परिचय।
- Ayush Badoni Biography In Hindi | आयुष बडोनी का जीवन परिचय
- Akash Deep Biography In Hindi | आकाश दीप का जीवन परिचय।
- Mahadevi Verma Biography In Hindi | महादेवी वर्मा जीवनी, रचनाएं, पुरस्कार, रोचक तथ्य?