ईमानदारी की जीत कहानी, ईमानदारी की सच्ची कहानी, ईमान की कहानी, ईमानदार दुकानदार की कहानी
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आज के इस नए लेख में आप सभी का सवागत है। किताबें इन्सान की सबसे अच्छी दोस्त होती है। क्योंकि किताबें कभी आपसे ना कुछ मांगती है और ना ही आपसे किसी भी तरह की इच्छा ज़ाहिर करती है। हम में से बहुत सारे लोगों को किताबें पढ़ना अच्छा लगता होगा। और कहानियों की किताबें पढ़ना तो हर किसी की मन पसंद चीज़ होती है। क्योंकि बचपन ही से हम लोग कहानियाँ पढ़ते या फिर सुनते चले आ रहे है।
कभी कभी हमें कहानियाँ पुरानी लगने लग जाती हैं और हम उनका महत्व समझ नहीं पाते हैं। लेकिन कहानियां हमेशा ही से हम सबको प्रेरणा देती हैं। और कभी कभी तो ऐसा होता है कि कुछ कहानियां हमारे ह्रदय को छु जाती हैं। इसलिए आज के इस लेख में हम आपके लिए कुछ honesty stories in hindi में लेकर आए है जिसे पढ़कर आप ज़रूर कुछ ना कुछ सीखेंगे।
Honesty का मतलब हिन्दी में ईमानदार होता है। जो इन्सान अपने जीवन में ईमानदारी को अपना लेता है, उसका नैतिक चरित्र बहुत ही ज़्यादा मज़बूत हो जाता है।और साथ ही साथ इमानदारी हमें सफलता की ओर ले जाती है और हमे एक आदर्श इन्सान बनाती है।इसलिए हम सभी को कहानियों से भी जीवन की सीख लेनी चाहिए। तो चलिए अब अपने इस लेख को शुरू करते हैं।
Honesty Stories In Hindi । ईमानदारी की 3 कहानियां?
खाली गमला?
बहुत पहले की बात है। एक राज्य में बिन्दुसार नाम का एक राजा रहता था। वह अपने राज्य के लोगों की बहुत मदद करता था और उनकी हर एक परेशानी को दूर करता था। सभी लोग उसकी जय जय कार किया करते थे। इन सब के बावजूद भी वो सुखी नहीं रहता था। क्योंकि उसकी कोई संतान नहीं थी।
वह हमेशा यही सोचता रहता था कि अगर मुझे कुछ हो जाएगा तो मेरे बाद मेरे राज्य को कौन संभालेगा। वह इसी फिक्र में घुला जा रहा था। राजा को इतना ज़्यादा चिन्ता में देखकर उनके सहायक ने उन्हे एक सुझाव दिया और कहा कि ” राजा बिन्दुसार आप राज्य ही में से किसी की सन्तान को गोद लेले।
इससे आपकी चिन्ता भी कुछ हद तक दूर हो जाएगी और किसी गरीब बच्चे का भला भी हो जाएगा। अपने सहायक की यह बात सुनकर बिन्दुसार खुश तो हुआ लेकिन उसे इस बात का भी डर था कि क्या कोई उसे खुद की सन्तान देगा? राजा ने काफी देर सोच विचार करने के बाद यह घोषणा करवा दी कि राज्य के सभी बच्चो को राजमहल में लाया जायें।
राजा ने सभी बच्चो को करने के लिए एक अलग कार्य दिया। राजा ने सभी बच्चों को पौधे लगाने के लिए अलग-अलग तरह के बीच दिए और कहा कि ” बच्चो इन बीजों को लगाओ फिर छह महीने बाद हम यहाँ दोबारा मिलेंगे और देखेंगे कि किसका पौधा सबसे अच्छा निकला है।
काफी महीने बीत गए। लेकिन उसमें से एक बच्चा ऐसा था जिसके गमले का बीच अभी तक फूटा ही नहीं था। लेकिन इसके बावजूद भी वह हर रोज़ उस पौधे की देखभाल करता था और पानी भी देता था।
ऐसे ही करते करते 4 महीने बीत गए और बच्चे की परेशानी बढ़ती जा रही थी। उसको इतना परेशान देखकर उसकी मां ने उससे कहा कि “बेटा सब्र रखो। कुछ बीज ऐसे होते है जिनको फल देने में बहुत ज़्यादा वक्त लगता है।” मगर इसके बाद भी उसकी परेशानी कम ना हुई वो अपने पौधे को सिंचता रहा।
आखिर 6 महीने पूरे हो गए और सभी बच्चो के पौधों के देखने का समय आ गया। लेकिन वह लड़का बहुत ही ज़्यादा डरा हुआ था। क्योंकि सभी बच्चों के गमलो में पौधे आ गए थे लेकिन उस लड़के का गमला अभी तक खाली ही था। उस बच्चे ने अपने डर को पीछे रखकर बहादुरी दिखाते हुए राजमहल में जाना बहतर समझा।
सभी बच्चे राजमहल में आ चुके थे। कुछ बच्चो के अन्दर राजा की सन्तान बनने का लालच था, कुछ के अन्दर केवल राजा के द्वारा मिलने वाली शाबबाशी की खुशी थी और कुछ बच्चे ईमानदारी के साथ अपने अपने गमले को प्रस्तुत करने आए थे। जिसमें से एक वह लड़का था। जिसके गमले में पौधा नहीं निकला था।
उस लड़के के अन्दर ईमानदारी थी लेकिन साथ ही साथ वह बहुत डरा भी हुआ था। क्योंकि उसका गमला एकदम खाली था। सभी बच्चो के बीच वह भी खड़ा था तभी राजा की नज़र उस लड़के के गमले पर पड़ी। तो राजा ने उससे पूछा कि ” बेटा तुम्हारा गमला तो खाली है। लड़के ने कहा,” जी, लेकिन मैंने तो इस गमले की 6 महीने तक देखभाल की थी। उसके बाद भी इसमे पौधा नहीं आया।
राजा उसकी ईमानदारी को देखकर बहुत ही ज़्यादा खुश हुआ।और उसने कहा कि “इस बच्चे का गमला खाली है लेकिन फिर भी इसने हिम्मत की और राज्य महल में आया।
फिर राजा ने उस लड़के को अपने पास बुलाया। बच्चा अभी तक डरा ही हुआ था। उसने जैसे ही अपना गमला दिखाया तो सभी बच्चे उसका मज़ाक उड़ाते हुए ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे। राजा ने गुस्से में सभी बच्चो से कहा “शांत हो जाओ। इतना खुश मत हो क्योंकि तुम सभी के पास जो पौधे हैं वो सब बंजर और बेकार हैं।”
सभी बच्चे यह सुनकर सदमें में आ गए और सब सोच में पड़ गए। फिर राजा ने सबसे कहा कि ” आप सबने बहुत मेहनत की मैं ये जानता हूँ लेकिन इस बच्चे की ईमानदारी ने मेरा दिल जीत लिया। आप चाहे जितनी भी मेहनत कर लें लेकिन अगर आप ईमानदार नहीं तो आपका भला नहीं हो सकता।
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सच्चा व्यापारी?
एक बस्ती में थोक का व्यापार करने वाला व्यापारी रहता था। उसका नाम राम भरोसे था। राम भरोसे का बचपन कठिनाईयों से भरा हुआ था। उसके पिता बहुत ही ज़्यादा गरीब थे और बचपन ही में उनका निधन हो गया था। उसके बाद राम भरोसे के ऊपर उसके परिवार की पूरी ज़िम्मेदारी आ गई थी। फिर उसने अपना व्यापार शुरू किया और बहुत ही ईमानदारी के साथ अपना काम करता था।
व्यापार के चलते ही एक बार आटे के दाम बहुत घट गए। राम भरोसे के पास आटे की बहुत सारी बोरियां भी थी। लेकिन उसने उन बोरियो का घाटे का सौदा नहीं किया। उन्हीं दिनों एक बहार का इन्सान उसके पास आया। उसने राम भरोसे से कहा कि “मेरे पास बहुत आटा है। क्या तुम मेरी कुछ बोरी अपने पास रखकर मुझे थोड़े से पैसे दे दोगे ? मुझे इस वक्त पैसों की बहुत ही ज़्यादा ज़रूरत है।
राम भरोसे ने कहा कि ” मैं बोरे रखकर उधार पैसे देने का काम नहीं करता हूँ। आप चाहें तो मैं आपके बोरे खरीदकर उनके पैसे दे सकता हूँ।” वह इन्सान इस बात पे राज़ी हो गया और उसने अपनी बोरियो को राम भरोसे को बेच दिया। 4 दिन के बाद आटे का दाम एकदम से बढ़ गया।
राम भरोसे ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए आटे की सारी बोरियां बेच दी। जिससे उसे बहुत ही ज़्यादा फायदा हुआ।
इसी बीच वह इन्सान फिर राम भरोसे के पास आया और उसे दुबारा पैसो की ज़रूरत पड़ी। वह राम भरोसे के पास आया और कहा कि “मुझे फिर पैसों की ज़रूरत आ पड़ी है इसलिए तुम फिर से ये सारी बोरियां खरीद लो।
राम भरोसे ने कहा कि ” तुमने जो बोरियां मुझे बेची थी 4 दिन बाद उसका दाम बहुत ही ज़्यादा बड़ गया था। मैंने वो सभी बोरियां बेच दी जिससे मुझे बहुत फायदा हुआ। और उस फायदे में तुम्हारा भी हक है तुम्हारे भी पैसे है। ये लो अपने पैसे। मैं आपको धोखा नहीं देना चाहता। ” वह इन्सान बहुत ही ज़्यादा खुश हो गया और कहने लगा कि “आज के समय में भी आप जैसे लोग है मुझे मालूम ना था।
जैसी करनी वैसी भरनी?
एक गाँव में दूधवाला रहता था। उसके पास 5 गायें थी। जिनका दूध वह शहर में घर घर जाकर बेचा करता था। शहर जाने के लिए उसे बहुत ही ज़्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। वह नाव से नदी पार कर के शहर जाता था। और अपने ग्राहकों को दूध बेचकर नाव ही से वापस अपने गाँव आ जाता था।
लेकिन जब वो नदी पार किया करता था तो वो उसी नदी का पानी दूध के डबबो में मिला दिया करता था। और शहर जाकर ज़्यादा पैसो में उस दूध को बेच दिया करता था। जिससे उसे बहुत ही ज़्यादा फायदा होता था।
कुछ समय बाद उस दूध वाले के लड़के की शादी के दिन करीब आए। तो वह शहर की बाज़ार जाकर ढेर सारे कीमती कपड़े, गहनें और ज़रूरी चीज़ें ख़रीद लाया। जब वो सब समान ला रहा था तो नाव ही से लौट रहा था। समान का भार ज़्यादा होने की वजह से नाव समान का वज़न नहीं झेल पाई और नदी में पलट गई।दूध वाले ने जैसे-तैसे करके अपनी जान बचाई। लेकिन वह कीमती सामानों को नहीं बचा पाया।
वह वहीं बैठ कर बहुत रोने लगा। फिर वह खुद ही से कहने लगा कि “हाय भगवान मैंने लोगों के साथ बेमानी की उनका पैसा मारा तभी मेरे साथ ऐसा हो गया।
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निष्कर्ष-
तो दोस्तों आज के इस लेख में आप सभी ने तीन honesty stories in hindi में जानी। तीनों कहानियों से हमें यही सीख मिलती है कि हमें अपना हर काम बहुत ही ईमानदारी के साथ करना चाहिए। हम इन्सानो से तो भले ही धोखे बाज़ी कर सकते हैं लेकिन ऊपर वाले से कुछ भी नहीं छुपता। वह हमारे कर्म का फल हमें किसी ना किसी तरह से दे ही देता है।
आशा करते हैं कि आप को यह लेख पसंद आया होगा और honesty stories in hindi में पढके आपको बहुत कुछ सीखने को मिला होगा।
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