1 . बारहसिंगे के सींग और पाँव
(moral stories in hindi for class 8)
Short moral stories in hindi for class 8 : एक बारहसिंगा था । एक बार वह एक तालाब के किनारे पानी पी रहा था । इतने में उसे पानी में अपना प्रतिबिंब दिखाई दिया । उसने मन – ही – मन सोचा , ‘ मेरे सींग कितने सुंदर हैं ।
किसी अन्य जानवर के सींग इतने सुंदर नहीं हैं । ‘ इसके बाद उसकी नजर अपने पैरों पर पड़ी । उसे बहुत दुःख हुआ । ” मेरे पैर कितने दुबले – पतले और भद्दे हैं ।’
तभी उसे थोड़ी दूर पर बाघ के दहाड़ने की आवाज सुनाई दी । बारहसिंगा डर कर तेजी से भागने लगा । उसने पीछे मुड़ कर देखा । बाघ उसका पीछा कर रहा था । वह और तेज गति से भागने लगा । भागते – भागते वह बाघ से बहुत दूर निकल गया । आगे एक घनघोर जंगल था । वहाँ पहुँच कर उसे कुछ राहत मिली । वह अपनी गति धीमी कर सावधानीपूर्वक आगे बढ़ने लगा ।
एकाएक उसके सींग एक पेड़ की डालियों में उलझ गए । बारहसिंगे ने अपने सींग छुड़ाने की बहुत कोशिश की , पर वे नहीं निकले ।
उसने सोचा , ‘ ओह ! मैं अपने दबले – पतले और भद्दे पैरों को कोस रहा था । पर उन्हीं पैरों ने बाघ से बचने में मेरी मदद की । मैंने अपने सुंदर सींगों की बहुत तारीफ की !
पर ये ही सींग अब मेरी मृत्यु का कारण बनने वाले हैं । ‘ इतने में बाघ दौड़ता हुआ आ पहुँचा और उसने बारहसिंगे को मार डाला ।
शिक्षा
सुंदरता से उपयोगिता अधिक महत्त्वपूर्ण होती है ।
2. मुर्गा और लोमड़ी
(moral stories in hindi for class 8)
एक जंगल में एक धूर्त लोमड़ी रहती थी । एक बार उसने एक मुर्गे को । पेड़ की ऊँची डाल पर बैठे हुए देखा । लोमड़ी ने मन – ही – मन सोचा , ‘ कितना बढ़िया भोजन हो सकता है यह मेरे लिए ? पर मुश्किल यह थी कि वह पेड़ पर चढ़ नहीं सकती थी । वह चाहती थी कि किसी तरह मुगां नीचे उतर आए ।
इसलिए लोमड़ी पेड़ के नीचे गई । उसने मुर्गे से कहा , ” मुर्गा भाई , आपके लिए एक खुशखबरी है । स्वर्ग से अभी – अभी आदेश आया है कि अब से सभी पशु – पक्षी मिल – जुल कर रहेंगे । अब वे कभी एक – दूसरे को नहीं मारेंगे ।
लोमड़ियाँ भी अब मुर्गे – मुर्गियों को नहीं खाएंगी । इसलिए तुम्हें मुझसे डरने की जरूरत नहीं है । नीचे आ जाओ ! हम लोग बैठकर आपस में बातें करेंगे ।
” मुर्गे ने कहा , “ वाह – वाह ! यह तो तुमने बड़ी अच्छी खबर सुनाई । वह देखो , उधर तुम्हारे कुछ दोस्त भी तुमसे मिलने के लिए आ रहे हैं । “
‘ मेरे दोस्त ! ” लोमड़ी ने आश्चर्य से कहा , ” मेरे कौन – से दोस्त आ रहे हैं ? ” ” वही , शिकारी कुत्ते ! ”
मुर्गे ने मुस्कराते हुए कहा । शिकारी कुत्तों का नाम सुनते ही लोमड़ी भय से काँपने लगी । उसने भागने के लिए जोर की छलाँग लगाई ।
मर्गे ने कहा , ” तुम उनसे क्यों घबरा रही हो ? अब तो हम लोग आपस | में दोस्त बन गए हैं न ? ” | ” हाँ , हाँ यह बात तो है ! ”
लोमड़ी ने कहा , “ पर इन कुत्तों को अभी शायद इस बात का पता नहीं होगा । ” यह कह कर लोमड़ी शिकारी कुत्तों के डर से सरपट भाग खड़ी हुई । ।
शिक्षा
धूर्त की बातों पर आँख मूंद कर विश्वास नहीं कर लेना चाहिए ।
3 . बिल्ली के गले में घंटी !
(moral stories in hindi for class 8)
एक पंसारी था । उसकी दुकान में बहुत से चूहे रहते थे । वहाँ उनके खाते का भरपूर सामान था । वे अनाज , सूखे मेव , ब्रेड , बिस्कुट , जाम और चीज़ आदि छक कर खाते थे ।
चूहों के कारण पंसारी को काफी नुकसान होता था । एक दिन उसने सोचा । ‘ इन चूहों से छुटकारा पाने के लिए मुझे कुछ उपाय करना चाहिए । वरना ये । तो मुझे कहीं का नहीं छोड़ेंगे । ‘
एक दिन दुकानदार एक बड़ी और मोटी – सी बिल्ली ले आया । उसने उसे दकान में छोड़ दिया । अब चूहे खुलेआम घूम – फिर नहीं सकते थे । बिल्ली । रोज किसी न किसी चूहे को पकड़ती और उसे मार कर खा जाती ।
धीरे – धीरे चूहों की संख्या कम होने लगी । इससे चूहों को बहुत चिंता हुई । उन्होंने इसका उपाय ढूँढ़ने के लिए सभा की । सबने एक स्वर में कहा , ” हमें इस बिल्ली से छुटकारा पाना ही होगा । ” पर छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए , यह उस सभा में किसी को नहीं सूझता था ।
तभी एक होशियार चूहे ने खड़े हो कर कहा , ” बिल्ली बहुत चालाक है , वह दबे पाँव बड़ी फुतों से आती है । इसलिए हमें उसके आने का पता ही नहीं चलता । हमें किसी तरह उसके गले में एक घंटी बाँध देनी चाहिए । “
दसरे चूहे ने उसका समर्थन किया , ” वाह ! क्या बात कही है ! जब बिल्ली चलेगी , तो उसके गले की घंटी बजेगी । हम घंटी की आवाज सुन कर सावधान हो जाएंगे । हम इतने फासले पर रहेंगे कि वह हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेगी । ”
सभी चूहों ने इस सुझाव का समर्थन किया । सारे चूहे खुशी से नाचने लगे । तभी एक बूढ़े चूहे ने कहा , ” खुशियाँ मनाना बंद करो । मुझे सिर्फ इतना बताओ कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँधेगा ? ”
यह सुनते ही सारे चूहे चुप हो गए । वे एक – दूसरे का मुँह ताकने लगे । उन्हें इस सवाल का कोई जवाब नहीं सूझा ।
शिक्षा
जिस सुझाव पर अमल न हो सके , वह सुझाव किस काम का !
4. डरपोक खरगोश
(moral stories in hindi for class 8)
एक जंगल में एक खरगोश रहता था । वह बहुत डरपोक था । कहीं जरा सी भी आवाज सुनाई पड़ती , तो वह डर कर भागने लगता । डर के मारे वह हर वक्त अपने कान खड़े रखता । इसलिए वह कभी सुख से सो नहीं पाता था ।
एक दिन खरगोश एक आम के पेड़ के नीचे सो रहा था । तभी पेड़ से एक आम उसके पास आ कर गिरा । आम गिरने की आवाज सुन कर वह हड़बड़ा कर उठा और उछल कर दूर जा खड़ा हुआ । ” भागो ! भागो ! आसमान गिर रहा है ! ” चिल्लाता हुआ वह सरपट भागने लगा । M
रास्ते में उसे एक हिरन मिला । हिरन ने उससे पूछा , ” अरे भाई , तुम इस तरह भाग क्यों रहे हो ? आखिर मामला क्या है ? ” खरगोश ने कहा , ” अरे भाग , भाग ! जल्दी भाग ! आसमान गिर रहा है । ”
हिरन भी डरपोक था । इसलिए वह भी भयभीत हो कर उसके साथ भागने लगा । भागते – भागते दोनों जोर – जोर से चिल्ला रहे थे , ” भागो ! भागो ! आसमान गिर रहा है । ”
उनकी देखादेखी डर के मारे जिराफ़ , जेब्रा , भेड़िया , लोमड़ी , गीदड़ तथा अन्य जानवरों का झुंड भी उनके साथ भागने लगा ।
सभी भागते – भागते एक साथ चिल्लाते जा रहे थे , ” भागो ! भागो ! आसमान गिर रहा है । “
उस समय सिंह अपनी गुफा में सो रहा था । जानवरों का शोर सुन कर वह हड़बड़ा कर जाग उठा । गुफा से बाहर आया , तो उसे बहुत क्रोध आया । उसने दहाड़ते हुए कहा , ” रुको ! रुको ! आखिर क्या बात है ? ”
सिंह के डर से सभी जानवर रुक गए । सबने एक स्वर में कहा , ” आसमान नीचे गिर रहा है । ”
यह सुन कर सिंह को बड़ी हँसी आई । हँसते – हँसते उसकी आँखों में आँसू आ गए । उसने अपनी हँसी रोक कर कहा , ” आसमान को गिरते हुए किसने देखा है ? ” सब एक – दूसरे का मुँह ताकने लगे ।
अंत में सभी की निगाह खरगोश की ओर मुड़ गई । खरगोश सहम उठा । तभी उसके मुंह से निकला , ” आसमान का एक टुकड़ा तो उस आम के पेड़ के नीचे ही गिरा है ।
” अच्छा चलो , हम वहाँ चल कर देखते हैं । ‘ सिंह ने कहा । सिंह के साथ जानवरों की पूरी पलटन आम के पेड़ के पास पहुँची । सब ने इधर – उधर तलाश की । किसी को आसमान का कोई टुकड़ा कहीं नजर नहीं आया । हाँ , एक आम जरूर उन्हें जमीन पर गिरा हुआ दिखाई दिया ।
सिंह ने आम की ओर इशारा करते हुए खरगोश से पूछा , “ क्या यही है आसमान का टुकड़ा , जिसके लिए तुमने सबको भयभीत कर दिया ? ” अब खरगोश को अपनी भूल समझ में आई । उसका सिर शर्म से झुक गया ।
वह डर के मारे थर – थर काँपने लगा । । दूसरे जानवर भी इस घटना से बहुत शर्मिदा हुए । वे अपनी गलती पर पछता रहे थे कि सुनी – सुनाई बात से डर कर वे बेकार ही भाग रहे थे ।
conclusion
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