Pari Story In Hindi । परी की कथाएँ/कहानियाँ- हिंदी कहानी

Pari Story In Hindi । परी की कथाएँ/कहानियाँ- हिंदी कहानी

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हैलो दोस्तों आज के इस लेख में आप सभी का सवागत है। कहानियां सुनना हम सबको बचपन ही से पसंद होती है। कहानियों के माध्यम से हम सबने जीवन में बहुत कुछ सीखा और सीखाया भी है। अगर हमें किसी को कोई भी चीज़ समझानी होतो है। हम कहानी के माध्यम से उसे बहुत अच्छे से समझा सकते हैं। और उसे कहानी के माध्यम से वह चीज़ बहुत जल्दी समझ में भी आ जाएगी। इसलिए आज के लेख में हम आपको कुछ pari story in hindi में बताएगें।

कहानियों से हमेशा बच्चों को ज्ञान और मनोरंजन सीखने को मिलता हैं। बचपन में सुनी कहानियां बच्चों के मन-मस्तिष्क पर अहम छाप जोड़ जाती हैं। परियों की कहानियाँ हमेशा से ही बच्चों की सबसे पसंदीदा कहानी रही है। खास कर लड़कियों को तो परियों की कहानियाँ ही सुनना पसंद होती है। क्योंकि कहानियाँ बच्चों को एक अलग दुनिया में ले जाती हैं। और उन्हे अच्छाई में विश्वास करने की सीख भी मिलती है।

कहानियां अकसर बच्चे रात में सोने से पहले सुनना पसंद करते हैं। आप नीचे दि गई कहानियों को अपने बच्चो को सुना सकते हैं। जिनसे वो कुछ ना कुछ ज़रूर सीखेगे।

Pari Story In Hindi
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सोन परि की ग़लती

सालों पहले एक खूबसूरत से महल में बहुत सारी परियां रहती थी। एक बार महल की सबसे बड़ी परी ने जिसका नाम रानी परी था।महल में बहुत बड़ा जश्न रखा। और सबको तैयार हो जाने को कहा। जब सब लोग तैयार होकर आ गए तो रानी परी ने सोन परी को डांटा और उसको महल से बाहर निकाल दिया। सोन परी दुखी होकर धरती पर आ गई। और एक बाग में जा छुप गई। वहां उसने देखा कि बहुत सारे बच्चे खेल रहे हैं। हंस रहे हैं। उन बच्चों को देखकर वह अपना दुख भूल गई।

इसी बीच बाग में खेल रही एक लड़की नेहा ने पेड़ के पीछे छुपी हुई सोनपरी के सुनहरे पंखों को देखा तो उसे लगा कि वह कोई अलग तरह का फूल है। वह सोनपरी के पास गई जैसी ही उसने परी को देखा वो बहुत ही ज़्यादा आश्रय चकित हो गई।फिर नेहा ने सभी बच्चों को सोनपरी के पास बुलाया और सोन परी को दिखाया। सोनपरी सुनहरे रंग के कपड़े पहने हुए थी। उसके पंक भी सुनहरे रंग के थे और वह लाल रंग का ताज लगाए हुई थी। तभी सोनपरी ने अपना परिचय सभी बच्चों को दिया। सभी बच्चे सोनपरी से मिलकर बहुत ही खुश हुए।

बच्चों ने बचपन में अपनी अपनी दादी से यह सुना था कि जो सुनहरी परी होती है वह सभी इच्छाओं को पूरा करती है। इसलिए सभी बच्चे और खुश हो गए थे। तो सब ने अपनी अपनी इच्छा सोनपरी से मांगना शुरू कर दी। उसमें से एक लड़का था रोहन जिसने अपनी इच्छा सोनपरी से मांगी तो सोनपरी ने अपनी छड़ी घुमाई और रोहन को आसमान की सैर कराई। फिर परी ने अपनी छड़ी घूमाई तो एक सेब नेहा के हाथों में आ गया।

इसके बाद सोनपरी ने अपनी छड़ी फिर घुमाई और बाग में सभी फूल जगमगाने लगे। दोबारा फिर सोनपरी ने अपनी छड़ी घुमाई तो बहुत सारे परिंदे आकर बच्चो के आसपास उड़ने लगे। यह देखकर सभी बच्चे बहुत खुश हो रहे थे और यह देखकर सोनपरी भी बहुत खुश हो रही थी और वह अपना दुख पूरी तरह से भूल चुकी थी।

धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा और शाम का वक्त आने लगा। तभी बच्चों को अपने घर जाना पड़ा। यह सुनकर सोनपरी उदास होने लगी। सब बच्चे जा ही रहे थे। तभी नेहा ने सोनपरी की ओर देखा तो सोनपरी उसे बहुत उदास लगी। नेहा ने सोनपरी से उसकी उदासी का कारण पूछा।

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सोनपरी ने महल में हुई सारी बात नेहा को बता दी तो नेहा ने कहा कि “आपने ज़रूर कोई शरारत की होगी। तभी रानी परी ने आपको महल से जाने को कहा। क्योंकि मैं जब भी घर में शरारत करती हूं,तो मेरी मां भी मुझे कोई न कोई सज़ा दे देती हैं।”सोनपरी ने कहा “नहीं। मैंने कोई शरारत नहीं की थी।

तभी सोनपरी ने नेहा से अपनी नज़रे छुपा ली और कहा कि “हां, मैंने एक शरारत महल में की थी। नेहा ने कहा “कौन सी शरारत तो सोनपरी ने कहा कि “महल में एक आदमी सीढ़ी पर खड़ा होकर महल की सबसे ऊंची घड़ी की सफाई कर रहा था। मैंने सीढ़ी को हिला दिया था। तो डर की वजह से वह आदमी घड़ी की सुई से ही लटक गया था और फिर महल की सबसे बड़ी घड़ी की सुई टूट गई थी। वह घड़ी जादुई घड़ी थी।

उस घड़ी की सुई टूटने से वह घड़ी रुक गई और उसकी वजह से महल में सारा काम रुक गया। फिर रानी परी ने अपनी छड़ी घुमा कर सब कुछ ठीक किया जिसमें उनको बहुत समय लग गया। शयद इसी वजह से उन्होंने मुझे महल से बाहर निकाल दिया। लेकिन इस में तो मेरी कोई गलती भी नहीं थी।”

नेहा ने सोनपरी की सारी बात सुनी और सोनपरी से कहा कि “मेरी मां कहती है कि अगर कोई गलती अनजाने में की जाए तो उसकी सज़ा नहीं होती है। लेकिन अगर कोई गलती जानबूझकर की जाए तो उसकी सज़ा भी होती है और गलती करने वाले को उस सज़ा को मानना भी चाहिए।

तभी सोन परि ने कहा कि “मैंने यह गलती तो जानबूझकर ही की है। क्या इस गलती के लिए रानी परी मुझे माफ करेंगी?नेहा ने कहा “हां, जरूर क्यों नहीं माफ करेंगीं ।अगर आप रानी परी से सच्चे दिल से माफी मांगेंगी तो रानी परी आपको ज़रूर माफ करेंगी। सोनपरी ने नेहा का धन्यवाद किया और अपनी छड़ी घुमा कर नेहा को उसके घर पहुंचा दिया।

नेहा के घर चले जाने पर सोनपरी ने नेहा की कही गई सारी बातों पर बहुत विचार किया और यह ठान लिया कि अब वह महल की सबसे अच्छी परी बनकर दिखाएगी। और रानी परी को कभी भी शिकायत का मौका नहीं देगी। फिर उसने अपने पंखों को फैलाया और आसमान की तरफ चली गई। वहां पर जाकर उसने रानी परी से अपनी गलती की माफी मांगी और रानी परी ने भी सोन परी को माफ कर दिया।

शरारती परी की समझदारी

एक छोटे से गांव में राजा रानी रहते थे। जिनकी एक छोटी सी बेटी थी। जिसका नाम शरारती परी था। शरारती परी बहुत ही ज़्यादा शरारती थी। राजा रानी उससे बहुत परेशान रहते थे। क्योंकि वह दोनों उसको जहां भी खेलने के लिए छोड़ते थे। व वहां से जाकर कहीं और चली जाती थी। और फिर उसे ढूंढना बहुत ही मुश्किल हो जाता था।

राजा ने शरारती परी के लिए एक बाबा को बुलाया और बाबा से कहा कि “आप इसको पढ़ा दिया करिए वरना तो यह दिन भर शरारत ही करती रहेगी। तो एक दिन बाबा आए और शरारती परी को पढ़ाने लगे। लेकिन उस समय भी परी को शरारत ही सूझी। उसने अपनी जादुई छड़ी से सारी किताबों को हवा में उड़ा दिया। बाबा बहुत परेशान हो गए। बाबा ने कहा “अगर तुम सही से पढ़ोगी लिखोगी नहीं तो आगे जाकर बहुत ज़्यादा परेशान होगी।

उसकी यह हरकत बाबा ने उसके पिता को बता दी। उसके पिता ने शरारती परी के ऊपर बहुत ही ज़्यादा गुस्सा किया और उसे बहुत ही ज़्यादा डाँटा। शरारती परी उदास होकर एक बाग में जाकर बैठ गई। और यह सोचने लगी कि “मैं तो बहुत शरारती हूं। मुझे सब लोग डांटते रहते हैं। मुझे कोई भी पसंद नहीं करता। अब मैं घर वापस नहीं जाऊंगी।” तभी एक जादूगर की नज़र शरारती परी पर पड़ती है।

जादूगर शरारती परी को देखते हुए या सोचता है कि “यह तो राजा की बेटी है। अगर मैं इस को अघवा कर लूँ और इसके बदले राजा से कुछ भी मांगू तो वह मुझे मुंह मांगी रकम देने के लिए तैयार हो जाएगा। तभी जादूगर शरारती परी के पास गया और उसे अपना जादू दिखाने लगा। जादू देख कर परी बहुत ही ज़्यादा खुश हुई। इसी मौके का फायदा उठाते हुए जादूगर परी को अपने घर लेकर चला गया।

फिर जादूगर ने शरारती परी को अपने घर में बंद कर दिया और राजा के महल गया। उसने राजा से कहा कि “आपकी बेटी मेरे पास है। अगर आप उसको पाना चाहते हैं तो आपको अपना आधा राज्य मेरे सुपुत्र करना होगा।” वह राजा को 2 दिन का समय देकर वहां से चला जाता है। लेकिन उसको यह बात नहीं पता होती है कि शरारती परी बहुत ही ज़्यादा शरारती है।

उसी बीच शरारती परी ने अपने जादू से जादूगर के सारे सामान को उलट-पुलट कर दिया और वहां से भाग गई। जैसे ही जादूगर अपने घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसके घर की हालत बहुत बुरी है और वहां शरारती परी नहीं है।

जादूगर ने शरारती परी को ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन वो उसको नहीं मिली। वह थक हार करके अपने घर आ गया और दूसरी तरफ राजा और रानी बहुत परेशान थे कि उनकी प्यारी सी बेटी कहां चली गई। तभी राजा की नज़र छोटी परी पर पड़ी जो उड़ते हुए चली आ रही थी। राजा और रानी परी को देखकर बहुत खुश हुए। राजा ने छोटी परी को गोद में ले लिया। और बेटी के मिल जाने पर खूब जश्न मनाया।

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निष्कर्ष-

तो दोस्तों आज के इस लेख में आप सभी ने pari story in hindi जानी।पहली कहानी से हम लोगों ने यह सीखा कि अगर हमसे कोई गलती हो जाती है तो हमको सच्चे मन से उस गलती के लिए माफी मांग लेनी चाहिए।

इसी के साथ हमने दूसरी कहानी से यह सीखा कि अगर कोई शरारती है तो उसको इतना मत डाटों कि वह बहुत ज़्यादा उदास हो जाए और कही चला जाए। वह शरारती परी बहुत शरारती थी, लेकिन उसकी अक्ल मन्दी से ही वह जादूगर से बच के आ गई थी।

आशा करते हैं कि आप को यह लेख पसंद आया होगा और pari story in hindi में पढ़कर आपको कुछ नया सीखने को मिला होगा।

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