Sonography क्या है? सोनोग्राफी कैसे किया जाता है?

Sonography क्या है? सोनोग्राफी कैसे किया जाता है?

आपने न्यूज में कई बार यह खबर तो जरूर सुना होगा कि आज सोनोग्राफी (Sonography in Hindi) करने के अपराध में पुलिस ने इतने लोगों को अरेस्ट किया। वर्तमान समय में देखा जाए तो Sonography के प्रति हर किसी का एक अलग अलग नजरिया है। Sonography को लेकर अधिकांश व्यक्ति के मन में यह डर जरूर रहता है कि सोनोग्राफी कराना एक अवैध कार्य है, जिसके अंतर्गत व्यक्ति को जेल भी हो सकती है।

अब ऐसे में आपके मन में यह सवाल तो जरूर उठ रहे होंगे कि आखिर ये Sonography होता क्या है। दरअसल, Sonography के बारे में सरल शब्दों में समझा जाए तो यदि इस टेस्ट की भनक भी पुलिस को लग जाती है कि कोई यह टेस्ट करवा रहा है या फिर करवाने जा रहा है, तो पुलिस फौरन इस टेस्ट को रोककर व्यक्ति को अरेस्ट कर सकती है। क्योंकि यह टेस्ट करवाना पूरी तरह से अवैध माना जाता है।

तो क्या आप भी Sonography in Hindi के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, यदि हां तो उसके लिए आपको हमारे आज के पोस्ट को अंत तक पढ़ने की जरूरत होगी। क्योंकि आज के लेख में मैं आपको Sonography क्या है और इसे क्यों कराया जाता है से जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाला हूं। तो चलिए सबसे पहले लेख की शुरुआत सोनोग्राफी क्या है से करते हैं।

Sonography in Hindi
Sonography kya hai

सोनोग्राफी क्या है | What is Sonography in Hindi

यदि सोनोग्राफी के बारे में सरल शब्दों में समझें, तो जब कोई महिला प्रेगनेंट हो जाती है, तो उन्हें वक्त वक्त पर प्रेगनेंट होने से लेकर बच्चें को जन्म देने तक का अपना Sonography करवाने की जरूरत होती है, जिसको आम तरह पर अल्ट्रासाउंड के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, ग्रामीण इलाकों में सोनोग्राफी को अल्ट्रासाउंड के नाम से ही जाना जाता है।

इसके साथ ही ध्यान देने योग्य बात यह है कि किसी Experience डॉक्टर से ही सोनोग्राफी टेस्ट करवाना सही माना जाता है। डॉक्टर सोनोग्राफी करके महिला के परिवार को उसके पेट में पल रहें बच्चे की स्तिथि के बारे में जानकारी प्रदान करते है। इस टेस्ट से यह पता चल जाता है कि बच्चा स्वस्थ है या नहीं। दरअसल, अल्ट्रासाउंड में डॉक्टर महिला के पेट में पल रहे बच्चे का पूरा आकार देख लेते है।

सोनोग्राफी का क्या अर्थ है | What is Sonography Meaning in Hindi

आम तौर पर देखा जाए तो Sonography Test ज्यादातर प्रेगनेंट महिला ही करवाती है। क्योंकि जब महिला प्रेगनेंट होती है, तो उन्हें यह चिंता होती है कि उनके पेट में पल रहे बच्चे की स्तिथि ठीक है या नहीं। या फिर बच्चे के अंगो का विकास हुआ या नहीं। इसके साथ ही यह टेस्ट एक प्रकार का ऐसा टेस्ट है जिसको करवाकर अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो सही वक्त पर उसका ट्रीटमेंट किया जा सकता है।

सोनोग्राफी टेस्ट क्यों किया जाता है?

जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो स्टार्टिंग के एक दो महीने ने भले ही उन्हें कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन थोड़े समय बाद जब बच्चे बनने की स्पीड तनिक बढ़ जाती है, तो गर्भवती महिला और परिवार को पेट में पल रहे बच्चे के प्रति काफी चिंता होती है। जैसे कि बच्चे में कोई कमी तो नहीं है, बच्चे का हेल्थ सही है या नहीं, बच्चे के हाथ पैर का विकास तो सही ढंग से हो रहा या नहीं।

अब इन सवालों के जवाब व्यक्ति के पास है नहीं इसलिए लोग ये सब जानकारी प्राप्त करने के लिए Sonography टेस्ट की मदद लेते हैं। यही वजह है कि मेडिकल फील्ड में इस टेस्ट का इजाद किया गया है। देखा जाए तो जिस प्रकार हमारे हड्डियों की स्कैनिंग करके उसका एक्सरे निकाली जाती है ठीक इसी प्रकार सोनोग्राफी टेस्ट किया जाता है। 

सोनोग्राफी टेस्ट क्या है | What is Sonography Test in Hindi

यदि हम Sonography Test क्या है के बारे में सरल शब्दों में समझे, तो यह प्रेगनेंट महिला के पेट में पल रहे बच्चे की स्तिथि को चेक करने वाली मेडिकल टेस्ट होती है। इसे आम तौर पर अल्ट्रासाउंड कहा जाता है। दरअसल, एक मशीन की सहायता से गर्भवती महिला के पेट में पल रहे बच्चे की स्कैनिंग करी जाती है। जिसके पश्चात एक प्लास्टिक के पेपर में बच्चे का प्रिंट आउट निकलता है, जिसे डॉक्टर देखकर बच्चे की मौजूदा स्तिथि के बारे में जानकारी देते है।

कितने प्रकार के सोनोग्राफी होते हैं | Types Of Sonography in Hindi

आसान शब्दों में समझा जाए तो, कुल 7 प्रकार के Sonography यानी की अल्ट्रासाउंड होते है। तो चलिए इन सभी प्रकारों के नाम के बारे में जानकारी साझा कर देते हैं। जो कि इस प्रकार है

  1. ट्रांसवैजिनल स्कैन
  2. डॉपलर अल्ट्रासाउंड
  3. मानक अल्ट्रासाउंड
  4. 3D अल्ट्रासाउंड
  5. Advanced अल्ट्रासाउंड
  6. भ्रूण इकोकार्डियोग्राफी
  7. 4-डी या गतिशील 3-डी अल्ट्रासाउंड

सोनोग्राफी टेस्ट कैसे किया जाता है?

दरअसल, वर्तमान समय में कई लोग ऐसे है जिनके मन में यह सवाल है कि आखिर ये अल्ट्रासाउंड यानी सोनोग्राफी किया कैसे जाता है। यदि आपके मन में भी यह सवाल है, तो जानकारी के मुताबिक सबसे पहले गर्भवती महिला के पेट पर एक जेल इंप्लांट डॉक्टर द्वारा किया जाता है और इसके बाद महिला के पेट के ऊपर इस जेल को अच्छी तरह से फैला दिया जाता है।

अब जेल को अच्छी तरह से फैला कर महिला के बच्चे दानी में आवाज की तरंगे पैदा करने हेतु ट्रांसड्यूसर को इस्तेमाल किया जाता है। बस इसी प्रकार से इसके माध्यम से बच्चे का आकार कागज के आकार के प्लास्टिक के पेपर को उग जाते है। इस तरह डॉक्टर प्रिंट निकाल कर बच्चे की मौजूदा स्तिथि के बारे में रिपोर्ट तैयार करते है।

सोनोग्राफी से क्या पता किया जा सकता है?

सोनोग्राफी टेस्ट मुख्य रूप से क्यों किया जाता है इसके बारे में मैंने आपको पहले भी लेख में जानकारी साझा किया है। दरअसल, सोनोग्राफी से आप बच्चे की मौजूदा स्तिथि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस टेस्ट से आपको यह पता चल जाएगा कि महिला के पेट में पल रहे बच्चे का डेवलपमेंट कितना हुआ, बच्चे के किस किस अंगों का विकास हुआ है साथ ही इस टेस्ट से यह भी पता चल जाता है कि अभी तक बच्चे के किस अंग का विकास न हो पाया है।

अल्ट्रासाउंड और सोनोग्राफी में क्या अंतर है?

अधिकांश व्यक्तियों को यह शंका है कि अल्ट्रासाउंड और सोनोग्राफी दोनों अलग अलग टेस्ट होते हैं। अगर आपके मन में भी कुछ ऐसा ही चल रहा है, तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि इन दोनों में कोई अंतर नहीं होता है। ये दोनों एक ही टेस्ट होते है।

देखा जाए तो शहरी क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति इसे सोनोग्राफी कहते है, तो वही ग्रामीण इलाकों में रहने वाले व्यक्ति इसे अल्ट्रासाउंड कहते हैं। इसलिए अल्ट्रासाउंड और सोनोग्राफी में आप कभी भी कंफ्यूज न हों। क्योंकि दोनों टेस्ट बच्चे की हेल्थ की जांच करने के लिए ही किया जाता है।

सोनोग्राफी रिपोर्ट में लड़का है या नहीं ये कैसे पता करें?

आज के समय में अधिकांश व्यक्ति यह जानना चाहते हैं कि सोनोग्राफी रिपोर्ट में लड़का है या नहीं ये कैसे पता करें? यदि आप भी यह जानना चाहते हैं, तो आपको बता दूं कि इस सोनोग्राफी रिपोर्ट में कुछ ऐसे निशान नजर आते है, जिसके माध्यम से लड़का है या लड़की इसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। तो चलिए इन निम्न निशानों के बारे में जान लेते हैं। जो कि इस प्रकार है

  1. लिंग का आकार दिखना
  2. कछुए जैसे निशान नजर आना
  3. सेजिटल साइन का निशान दिखना
  4. हैमबर्गर साइन का न नजर आना
  5. यूरीन फ्लो का निशान दिखना

हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर कोई सामान्य व्यक्ति सोनोग्राफी रिपोर्ट को देखता है, तो उन्हें इससे कुछ नहीं पता चलेगा। कहने का तात्पर्य यह कोई भी सामान्य व्यक्ति इस रिपोर्ट को देखकर यह नहीं पता कर सकता कि महिला के पेट में लड़का है या लड़की।

यह पता करने में केवल डॉक्टर ही मदद कर सकते है। हालांकि आज के समय में हर डॉक्टर आपको रिपोर्ट में क्या है यह नहीं बताते है। लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे भी होते है जो पैसे लेकर रिपोर्ट में क्या है इसकी जानकारी दे सकते हैं।

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सोनोग्राफी के फायदे | Benefits Of Sonography in Hindi

सोनोग्राफी के फायदे की चर्चा की जाए, तो इसके निम्न फायदे होते है। जो कि इस प्रकार है

  • सोनोग्राफी का उपयोग कर भ्रूण की जांच की जा सकती है।
  • सोनोग्राफी के इस्तेमाल से दिल की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।
  • इसके साथ ही कैंसर एवं कोई भी गांठ इत्यादि का पता किया जा सकता है।
  • सोनोग्राफी जांच में व्यक्ति को किसी भी तरह का कोई दर्द की समस्या का एहसास नहीं होता है।
  • सोनोग्राफी करके बीमारी का सही समय पर पता लगाकर उसका सही समय पर इलाज किया जा सकता है।
  • इसके अलावा सबसे अच्छी बात तो यह है कि सोनोग्राफी करने से महिला के पेट में पल रहे बच्चे को किसी भी तरह की कोई तकलीफ नहीं होती है।

सोनोग्राफी के नुकसान | Disadvantages Of Sonography in Hindi

यदि चिकित्सा की नजरियो से देखा जाए, तो सोनोग्राफी का उपयोग मुख्य तौर पर अच्छे कार्यों के लिए ही किया जाता था और आज भी इसका उपयोग अच्छे कार्यों के लिए ही किया जा रहा है। परंतु, वो कहते है न की एक मछली पूरी तालाब को गंदी कर देती है। ठीक इसी प्रकार से इसमें भी कुछ दुष्ट और लालची किस्म के लोगों के चलते सोनोग्राफी टेस्ट का नाम बदनाम है।

दरअसल, आज के समय में कई लोग ऐसे भी है जो लड़के की चाह में महिला के प्रेगनेंट होने पर पेट में पल रहा बच्चा लड़का है या लड़की ये जानने के लिए सोनोग्राफी कराते है और कुछ डॉक्टर ऐसे भी होते है, जो पैसे की लालच में ये कर भी देते है। लेकिन यह करना कानून के निगाहों में अवैध है।

यही वजह है कि जो भी डॉक्टर या व्यक्ति इस Sonography Test कराते पकड़े जाते हैं, उन्हें सजा और जुर्माना दोनों भरना पड़ सकता है। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि आज भी इस टेस्ट का उपयोग अच्छे कार्यों के लिए किया जाता है। वही इस टेस्ट का गलत इस्तेमाल करने पर कानून सजा भी दे सकता है।

FAQ

Q1. सोनोग्राफी करने से पूर्व क्या खाना चाहिए?

यदि गर्भवती महिलाओं को Sonography Test कराना है, तो उन्हें सुबह में हल्का नाश्ता करके जाने की आवश्यकता होगी। लेकिन जो ऐसे ही यह टेस्ट कराना चाहते हैं, उन्हें उन्हें खाली पेट पानी पी कर जाने की आवश्यकता होगी।

Q2. सोनोग्राफी रिपोर्ट कितने समय में दिया जाता है?

यदि आप सोनोग्राफी टेस्ट करवाते है, तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि इस रिपोर्ट को तैयार करने में दो दिन लगता है। जिसके बाद ही डॉक्टर आपको यह रिपोर्ट दे पाते है।

Q3. सोनोग्राफी टेस्ट कराने से पूर्व कितना पानी पीना चाहिए?

यदि आप किडनी के लिए सोनोग्राफी कराना चाहते हैं, तो डॉक्टर के सलाह के मुताबिक आपको कम से कम 4 से 6 ग्लास पानी जरूर पीना चाहिए।

Q4. सोनोग्राफी टेस्ट कराने की फीस कितनी होगी?

सोनोग्राफी टेस्ट कराने की फीस 800 से लेकर 1200 रुपए तक हो सकती है।

निष्कर्ष

आशा करता हूं कि आपको हमारा Sonography Kaise Hoti Hain का यह पोस्ट पसंद आया होगा। आज के लेख में मैंने आप सभी को सोनोग्राफी क्या है और कैसे की जाती है इससे जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान किया है। अगर आपको हमारे आज के इस Sonography के पोस्ट को पढ़कर कोई सवाल पूछना हो तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। साथ ही पोस्ट अच्छा लगे तो शेयर करना ना भूलें।