Somnath Temple History In Hindi

Somnath Temple History In Hindi । सोमनाथ मंदिर का इतिहास

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नमस्ते दोस्तों आज के इस लेख में आप सभी का सवागत है। आज के इस लेख में आप सभी एक बहुत ही मशहूर और महत्वपूर्ण मन्दिर के बारें में जानेंगे। आज के लेख में आप somnath temple history in hindi में जानेंगे और साथ ही साथ somnath temple का इतिहास, somnath temple की कहानी,somnath temple की विशेषता और somnath temple के आसपास क्या है जानेंगे।

भारत के मंदिरों ने अपनी महान धार्मिकता और महत्ता से हमेशा उन यात्रियों को आकर्षित किया है जो अभवय मन्दिरों की खोज में निकलते हैं। सबसे अमीर भारतीय मंदिरों में से एक somnath temple है। इस मन्दिर को कम से कम 17 बार लूटा और तोड़ा गया है। लेकिन हर बार यह राख से उठ जाता था। somnath temple पश्चिमी तट पर सौराष्ट्र में वेरावल बंदरगाह के पास प्रभास पाटन में स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर भारत में भगवान शिव के बारह श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मन्दिर में से सबसे पहला माना जाता है।

यह somnath temple गुजरात के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में हे एक है। प्राचीन समय में इस मंदिर को बहुत सारे मुस्लिमों के द्वारा बार-बार तोड़ा गया था। यह मन्दिर विश्व के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। साथ ही यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग मन्दिर है। बढ़े बुजुर्गों का ऐसा कहना है कि भगवान शिव सर्वप्रथम यही पर प्रकट हुए थे। इस मन्दिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है। somnath temple के बारें में विस्तार से जानने के लिए इस लेख को अन्त तक ज़रूर पढ़े।

Somnath Temple History In Hindi
Somnath Temple History In Hindi

somnath temple history in hindi-

somnath temple भारतीय इतिहास का सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। जो भारत के गुजरात राज्य के सौराष्ट्र नामक क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित है। यह एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। यह मन्दिर देवता भगवान शिव को समर्पित है। और साथ ही साथ इस मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है।

somnath temple हिंदू धर्म और आस्था से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों में से एक माना जाता है। यह मन्दिर लगभग 17 बार मुगल लुटेरों के द्वारा लुटा व तोड़ा गया था। लेकिन हर बार हिंदू राजाओं के द्वारा इसका फ़िर से निर्माण हुआ करता था।

somnath temple एक पवित्र धाम है। यहाँ भक्तगण और श्रिदालु लोग हर साल लाखो की संख्या में दर्शन करने आते है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इतनी बार नष्ट होने व लूटने के बाद भी इसका हमेशा फिर से निर्माण होता रहा है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग की यात्रा somnath temple से ही शुरू होती है। इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। जिसका ज़िक्र ऋग्वेद में साफ़ साफ़ दिया गया है। चंद्रदेव ने somnath temple में शिवलिंग की स्थापना की और वहीं तपस्‍या करना शुरू करदी। तभी चंद्रदेव से प्रसन्न होकर शिवजी प्रकट हुए और चंद्र को शाप से मुक्त करके अमर कर दिया। शाप से मुक्ति मिलने के बाद चंद्रदेव ने प्रार्थना की कि भगवान शिव और माता पार्वती हमेशा साथ रहें।

somnath temple का इतिहास-

somnath temple के इतिहास में हमें लूटपाट और विनाश की बातें सुनने को मिलती है। इतनी बार तोड़े जाने के बाद भी यह मन्दिर भारत के पश्चिमी तट पर मज़बूती से खड़ा रहा है।Indian mythology के अनुसार, इस बहुत पुराने मंदिर को पहले सोमराज यानि चंद्रमा भगवान द्वारा सोने में, फिर रावण द्वारा चांदी में, फिर भगवान कृष्ण द्वारा चंदन में और अन्त में भीमदेव के द्वारा पत्थर में बनाया गया था। जो कि गुजरात के शासकों में से एक थे।

ऐतिहासिक records के अनुसार somnath temple को महमूद गजनी, खिलजी, मुज़फ्फ़र शाह, ज़हर खान, अहमद शाह, महमूद बेगड़ा, औरंगजेब आदि जैसे अलग-अलग मुस्लिम राजाओं के द्वारा बहुत बार तोड़ा गया था। उन लोगों ने मंदिर के धन को लूटा और पवित्र स्थल को नाश करना चाहा था। लेकिन हर बार श्री विक्रमादित्य, वल्लभी राजाओं, अन्हिलवाडा के भीमदेव, खंगारा जो कि जूनागढ़ के राजा थे जैसे अन्य प्राचीन शासकों ने इसे फिर से बनाया और साथ ही साथ इसकी महिमा को वापस भी लाए।

मुसलमानों द्वारा तोड़ फोड़ और हिंदुओं द्वारा फिर से निर्माण का सिलसिला कुछ सालों व सदियों तक चलता रहा। लेकिन जब 1702 में औरंगजेब ने आखिरी बार somnath temple को बर्बाद कर दिया था। तो बहुत लम्बे समय तक यानि 1950 तक somnath temple फिर से नहीं बना था।

11वीं सदी में महमूद गजनी के द्वारा somnath temple पर किया गया हमला आखिरी हमला था। उसने मंदिर पर हमला और लूटने के साथ साथ हज़ारों तीर्थयात्रियों की जान भी ले ली थी और मंदिर को जला कर भस्म भी कर दिया था।

वर्तमान में somnath temple की स्थापना राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई 1950 को की थी। इसके बाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 11 मई 1951 को इस मंदिर में ज्योतिर्लिंग की स्थापना की। और आखिर में 1962 में यह मंदिर पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो गया था।

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somnath temple की कहानी-

somnath temple की पौराणिक कहानी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था। जिसका ज़िक्र हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ ऋग्वेद में स्पष्ट रूप से दिया गया है। इस ग्रंथ के अनुसार चंद्रदेव ने दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं के साथ विवाह किया था तो इस प्रकार चंद्रदेव की 27 पत्नियां थी।

27 पत्नियों में से चंद्रदेव सबसे ज़्यादा प्रेम रोहिणी से करते थे। चंद्रदेव बाकी 26 पत्नियों को इतना प्रेम और सम्मान नही देते थे। जितना वो रोहिणी को देते थे। राजा दक्ष अपनी पुत्रियों के साथ हो रहे इस अन्याय को देखकर बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने चंद्रदेव को श्राप दिया कि उनकी चमक हर दिन घटती जाएगी और जिस दिन उनकी चमक खत्म हो जाएगी उस दिन उनका अंत हो जाएगा।श्राप ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। जिसके कारण चंद्रदेव बहुत दुखी रहने लगे थे।

इस श्राप को खत्म करने के लिए चंद्रदेव ने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी। जिससे भगवान शिव चंद्रदेव से बहुत ही ज़्यादा खुश हुए। उन्होंने चंद्रदेव राजा दक्ष के द्वारा दिए गए श्राप सेे मुक्त कर दिया और साथ ही साथ उनको अमरत्व का वर भी प्रदान किया।

भगवान शिव ने चंद्रदेव को यह वरदान दिया कि चन्द्रदेव की चमक बढ़ेगी और प्रत्येक पूर्णिमा को उन्हें अपनी पूर्ण चमक स्वरूप मिलती रहेगी। इसके अलावा चन्द्रदेव ने भगवान शिव से
यह विनती भी की कि माता पार्वती और आप साथ गुजरात के इस स्थान पर निवास करे। उसके बाद भगवान शिव ने चन्द्रदेव की इस विनती को स्वीकार कर लिया। और माता पार्वती के साथ ज्योतर्लिंग के रुप में गुजरात में निवास कर लिया।

चंद्रदेव ने गुजरात में भगवान शिव को समर्पित करके इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया और इस मंदिर की महिमाा विश्व भर में प्रचलित की। इसके अलावा somnath temple की महिमा का वर्णन हिन्दू धर्म के महाकाव्य श्रीमद्धभागवत, महाभारत और स्कंदपुराण आदि में किया जा चुका है।

somnath temple की विशेषता

somnath temple की सबसे खास विशेषता यह है कि इसको 17 बार तोड़े जाने के बाद भी इसका बार बार फिर से निर्माण होता रहा। और बहुत बार बहुत से विदेशीयो और अरबी लोगों ने इस मंदिर पर हमला करके इसे लूटा और इसे भस्म कर दिया। वहीं दूसरी ओर बहुत सारे हिंदू राजाओं ने इस मंदिर को फिर से बनाया। भारत की स्वतन्त्रता के बाद भारत के पहले गृह मंत्री स्वर्गीय सरदार वल्लभभाई पटेल ने somnath temple का फिर से निर्माण किया था।

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somnath temple के आसपास क्या है

somnath temple 10 किलोमीटर तक फैला हुआ है। जिसमें करीब 42 मंदिर स्तिथ है। somnath temple में माता पार्वती, माता लक्ष्मी, मां गंगा, माता सरस्वती और नंदी की कई सारी मूर्तियां बनी हुई हैं। somnath temple के ऊपरी हिस्से में शिवलिंग और अहल्येश्वर की सुंदर मूर्ति स्थापित है।

इस मंदिर में गौरीकुण्ड नामक एक सरोवर बना हुआ है। इस सरोवर के पास ही भगवान शिव का एक शिवलिंग भी स्थापित है। इसके अलावा somnath temple के परिसर में माता अहिल्याबाई द्वारा बनाया गया मंदिर और महाकाली का भी एक विशाल मंदिर स्तिथ है।

FAQ

Q. Somnath Temple की क्या खासियत है?

भारत के स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस मंदिर को फिर से बनवाया था। यह मंदिर गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप- तीन प्रमुख भागों में बंटा हुआ है। इस मंदिर का शिखर 150 फुट ऊंचा है। इसके शिखर पर स्थित कलश का भार दस टन है और इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है। यही Somnath Temple की खासियत है।

Q. Somnath Temple किस लिए प्रसिद्ध है?

Somnath Temple गुजरात राज्य के सौराष्ट्र के सागर कांत में स्थित एक भव्य मंदिर है। भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ है। सोमनाथ का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।

Q. Somnath Temple में किसकी पूजा होती है?

Somnath Temple में भगवान शिव की पूजा होती है।

Q. Somnath Temple के मंदिर को कितनी बार नष्ट किया गया है?

इतिहासकारों के अनुसार Somnath Temple को 17 बार नष्ट किया गया है।

Q. हमें Somnath Temple कब जाना चाहिए?

Somnath Temple जाने के लिए सबसे अच्छे महीने अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी और मार्च हैं।

निष्कर्ष-

तो दोस्तों आज के इस लेख में आप सभी ने somnath temple history in hindi में जाना। और साथ ही साथ somnath temple का इतिहास, somnath temple की कहानी,somnath temple की विशेषता और somnath temple के आसपास क्या है जाना।

somnath temple की सबसे आश्चर्य चकित रह जाने वाली बात यह है कि इसे 17 बार तोड़ा गया है लेकिन हर बार इसका पुनर्निर्माण होता रहा क्योंकि निर्माण की शक्ति हमेशा विनाश की शक्ति से बहुत ज़्यादा होती है।

आशा करते हैं कि आप को यह लेख पसंद आया होगा और somnath temple history in hindi के बारें में आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा।

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