स्वार्थी चमगादड़ – Panchatantra story in hindi with moral

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स्वार्थी चमगादड़ - Panchatantra story in hindi with moral
Panchatantra story in hindi with moral

स्वार्थी चमगादड़ – Panchatantra story in hindi with moral

बहुत पुरानी बात है । एक बार पशुओं और पक्षियों में झगड़ा हो गया । चमगादड़ों ने इस लड़ाई में किसी का पक्ष नहीं लिया । उन्होंने सोचा , ‘ हम पक्षियों की भाँति उड़ते हैं , इसलिए पक्षियों में शामिल हो सकते हैं ।

मगर पक्षियों की तरह हमारे पंख नहीं होते और हम अंडे भी नहीं देते । इसलिए हम पशु दल में भी शामिल हो सकते हैं । हम पक्षी भी हैं और पशु भी हैं ।

इसलिए दोनों में से जो पक्ष जीतेगा , उसी में हम मिल जाएँगे । अभी तो हम इस बात का इंतजार करें कि इनमें से कौन जीतता है । स्वार्थी चमगादड़ – Panchatantra story in hindi with moral

Panchatantra story in hindi
Panchatantra story in hindi with moral

पशुओं और पक्षियों में युद्ध शुरू हुआ । एक बार तो ऐसा लगा कि पशु जीत जाएँगे । चमगादड़ों ने सोचा , ‘ अब शामिल होने का सही वक्त आ गया है । वे पशुओं के दल में शामिल हो गए ।

कुछ समय बाद पक्षी – दल जीतने लगा । चमगादड़ों को इससे बड़ा दुःख हुआ । अब वे पशुओं को छोड़ कर पक्षी – दल में शामिल हो गए । अंत में युद्ध खत्म हुआ । पशुओं और पक्षियों ने आपस में संधि कर ली । वे एक – दूसरे के दोस्त बन गए ।

दोनों ने चमगादड़ों का बहिष्कार कर दिया । स्वार्थी चमगादड़ अकेले पड़ गए । तब चमगादड़ वहाँ से दूर चले गए और अंधेरे कोटरों में छुप गए । तब से वे अंधेरे कोटरों में ही रहते हैं । केवल शाम के धुंधलके में ही वे बाहर निकलते हैं । इस समय पक्षी अपने घोंसलों में लौट आते हैं और जंगली जानवर रात में ही अपनी गुफा से बाहर निकलते हैं.

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स्वार्थी मित्र किसी को अच्छा नहीं लगता । स्वार्थी चमगादड़ – Panchatantra story in hindi with moral [/su_box]

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