भेड़िया और सारस – Panchatantra story in hindi with moral

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भेड़िया और सारस - Panchatantra best story in hindi with moral
Panchatantra best story in hindi with moral

भेड़िया और सारस – Panchatantra story in hindi with moral

एक लालची भेड़िया था । एक दिन वह खूब जल्दी – जल्दी भोजन कर था । भोजन करते – करते उसके गले में एक हड्डी अटक गई । भेडि हड्डी बाहर निकालने की बहुत कोशिश की , पर वह उसे नहीं निकाल सका ।

वह विचार करने लगा , ‘ अगर हड्डी मेरे गले से बाहर न निकली , तो बहत । मुश्किल होगी । मैं खा – पी नहीं सकूँगा और भूख – प्यास से मर जाऊँगा । भेड़िया और सारस – Panchatantra story in hindi with moral

नदी के किनारे एक सारस रहता था । भेड़िया भागता – भागता सारस के | पास पहुँचा । उसने सारस से कहा , ” सारस भाई ! मेरे गले में एक हड्डी फँस गई है । आपकी गरदन लंबी है । वह हड्डी तक पहुंच जाएगी । कृपा कर मेरे । गले में फँसी हुई हड्डी निकाल दीजिए । मैं आपको अच्छा – सा इनाम दूँगा । “

भेड़िया और सारस - best Panchatantra story in hindi with moral
Panchatantra best story in hindi with moral

सारस ने कहा , ” ठीक है । मैं अभी तुम्हारे गले की हड्डी निकाल देता हूँ । ” भेडिए ने अपना जबड़ा फैलाया । सारस ने फौरन अपनी गरदन भेड़िए के गले में डाल कर हड्डी बाहर निकाल दी ।

अब मेरा इनाम दो ! ” सारस ने कहा । ” इनाम ? कैसा इनाम ? \

भेड़िए ने कहा , ” इनाम की बात भूल जाओ । भगवान का शुक्रिया अदा करो कि तुमने अपनी गरदन मेरे गले में डाली और वह सही – सलामत बाहर चली आई । इससे बड़ा इनाम और क्या होगा ? “

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धूर्त की बातों में कभी नहीं आना चाहिए , उन्हें एहसान भुलाते देर नहीं लगती ।  [/su_box]

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