नकलची कौआ Panchatantra Story In Hindi With moral

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नकलची कौआ - Panchatantra Story In Hindi With moral
Panchatantra Story In Hindi With moral

नकलची कौआ Panchatantra Story In Hindi With moral

एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक गरुड़ रहता था । पहाड़ की तलहटी में एक बड़ा पेड़ था । पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बना कर रहता था । नकलची कौआ Panchatantra Story In Hindi With moral

एक दिन तलहटी में कुछ भेड़ें घास चर रही थीं । गरुड़ की नजर एक मेमने पर पड़ी । वह पहाड़ की चोटी से उड़ा । तलहटी में आ कर उसने मेमने पर झपट्टा मारा । उसे चंगुल में ले कर उड़ते हुए वह फिर घोंसले में लौट गया । नकलची कौआ  Panchatantra Story In Hindi With moral

गरुड़ का यह पराक्रम देख कर कौए को भी जोश आ गया । उसने सोचा ‘ यदि गरुड़ ऐसा पराक्रम कर सकता है , तो मैं क्यों नहीं कर सकता ? ‘

दूसरे दिन कौए ने भी एक मेमने को तलहटी में चरते हुए देखा । उसने भी उड़ान भरी और आसमान में जितना ऊपर तक जा सकता था , उड़ता चला गया ।

फिर उसने मेमने को पकड़ने के लिए गरुड़ की तरह जोर से झपट्टा मारा । मगर मेमने तक पहुँचने के बजाय वह एक चट्टान से जा टकराया । उसका सिर फूट गया , चोंच टूट गई और उसके प्राण – पखेरू उड़ गए ।

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बिना सोचे – समझे किसी की नकल करने से बुरा हाल होता है  । | [/su_box]

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